हेलो दोस्तों… हम सभी जानते है की ब्रम्हा जी को सृस्टि का रचियता कहा जाता है पर क्या आप ये जानते है की ब्रम्हा जी ने कैसे की इस सृस्टि की रचना की , नहीं जानते होंगे तो दोस्तों आज के इस पोस्ट के अंतर्गत मैं आपको ये बताऊंगी – कैसे की ब्रम्हा जी ने इस सृस्टि की रचना ?
पर दोस्तों इसके लिए आपको ये पोस्ट पूरा पढ़ना होगा। दोस्तों ब्रम्हा जी की पत्नी अध्ययन की देवी सरस्वती माँ है। परन्तु क्या आप ये जानते है की ब्रम्हा जी की पुत्री भी माँ सरस्वती ही है। हिन्दू धर्म के प्रमुख ग्रंथो मैं से मुख्य दो ग्रन्थ है १.सरस्वती पुराण २.मत्सय पुराण अतः इन दोनों पुराणों मैं ये बताया गया है की ब्रम्हा जी ने अपनी ही बेटी के साथ विवाह रचाया था |आइये जानते है की ब्रम्हा जी ने अपनी पुत्री के साथ विवाह जैसा निंदनीय काम क्यों किया |
सरस्वती पुराण के अनुसार ब्रम्हा जी ने अपनी शक्ति से सरस्वती जी को जन्म दिया था। सरस्वती जी को विद्या की देवी कहा जाता है और कहा जाता है की सरस्वती जी की माँ नहीं थी, केवल पिता थे। मत्स्य पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी पांच सर थे और ब्रम्हा जी ने जब इस सृस्टि की रचना की तब वह समस्त ब्रह्माण्ड मैं अकेले थे, अपनी शक्ति से उन्होंने सरस्वती,संध्या और ब्राम्ही को उत्पन किया।जिसमे सरस्वती जी बहुत ही सुन्दर थी, ब्रम्हा जी की अपनी ही बनाई हुई रचना सरस्वती पे बहुत आकर्षित हुए और उन पर अपनी दृस्टि डाले रखते ऐसे मैं सरस्वती माँ बचने के लिए चारो दिशाओ मैं छिपती रहती चारो दिशाओ मैं छिपने के बाद भी वह उनसे बच नहीं पायी तो उन्होंने आकाश मैं जाकर छिपना उचित समझा परन्तु अपने पाचवे सर से ब्रम्हा जी ने उन्हें वह पर भी खोज निकाला और सृस्टि की रचना करने मैं उनसे निवेदन किया और फिर सरस्वती ने विवाह के पश्चात मनु को जन्म दिया और ब्रम्हा जी और माँ सरस्वती की संतान मनु को पहला मानव कहा जाता है। तो दोस्तों यही कारण रहा की ब्रम्हा जी ने अपनी ही पुत्री से विवाह रचाया वो इस सृस्टि की रचना के लिए……..तो दोस्तों ऐसी रोचक जानकारी के लिए आप हमारे पोस्ट को जरूर पढ़े|
धन्यवाद,
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